अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के आप सभी पाठकों को नमस्कार. मैं गोरखपुर यू.पी से हूँ और अन्तर्वासना का पुराना पाठक हूँ. इधर की चुदाई की कहानी पढ़ने से मेरा भी मन किया कि अपने साथ घटी चुदाई की कहानी लिखूँ और आप सबके सामने पेश करूँ.
यह मेरी कहानी सच्ची घटना पर आधारित कहानी है. यह चुदाई की कहानी 1998 की है. मेरा एक दोस्त से परिवारिक संबंध था, मेरा उसके यहाँ आना-जाना था. उसकी चार बहनें थीं और वो 3 भाई भाई थे. सबसे बड़ी बहन का नाम सरोज था, उसकी शादी हो चुकी थी और उसका 5 साल का एक बच्चा भी था, लेकिन उसके पति से उसकी नहीं बनती थी. उसका पति दिल्ली में रहता था और वहाँ पर किसी औरत को रखा हुआ था.
मेरी सरोज के साथ बहुत अच्छी बनती थी. वो देखने में बहुत खूबसूरत थी, उसकी लंबाई थोड़ी कम थी लेकिन मस्त चूचियां और उठी हुई गांड बहुत सेक्सी थी.
यूं कहें कि 36-28-32 की उसकी मादक फिगर किसी की भी कामोत्तेजना को बढ़ाने वाली थी. उसकी आँखें ऐसी कातिल थीं कि जब भी वो जब नजर उठा के किसी को देखे, तो कामवासना को आमंत्रित करने जैसा महसूस होता था. सच में मैं उसकी कामवासना का शिकार हो गया.
मैं भी नया-नया ही जवान हुआ था और मैंने कभी सेक्स नहीं किया था. मेरा भी मन चुदाई करने को कर रहा था. मैं मौके की तलाश कर रहा था. वो मुझसे बात करते-करते हाथ फेर देती थी, तो कभी अपनी गांड मेरे शरीर से रगड़ कर चलती थी. उसकी इन्हीं सब हरकतों के चलते मुझमें धीरे-धीरे हिम्मत बढ़ने लगी थी.
एक दिन सरोज मुझसे बोली- कोई गर्लफ्रेंड बनाई या नहीं?
तो मैंने कहा- एक पसंद तो है, लेकिन उससे बोलने की हिम्मत नहीं है.
उसने कहा- क्यूँ?
मैंने उसके मम्मों को घूरते हुए कहा- मुझे डर लग रहा है.. कहीं वो मुझे मार न दे!
तो उसने समझते हुए आँख मारी और मुझसे कहा- नहीं मारेगी.. तू बोल तो सही!
मैंने हिम्मत जुटा कर कहा- अभी नहीं.
उसने मुझसे फिर कहा- तो कब कहेगा?
मैंने कहा- बाद में बताऊंगा.
यह कह कर मैं घर चला गया.
फिर दूसरे दिन उसने मुझसे पूछा- बताओगे नहीं?
तो मैंने कहा- एकांत में.
तो कहने लगी- कहाँ?
मैं चलो- पिक्चर देखने चलते हैं.
वो राजी हो गई तो मैं उसे दूसरे दिन सोल्जर पिक्चर दिखाने ले गया.
वो साड़ी पहन कर आई थी. हम दोनों पिक्चर हॉल में पहुँचे, पिक्चर शुरू हो चुकी थी. पांच मिनट बाद उसने पूछा- अब बताओ?
तो मैंने कहा- डर लग रहा है.. मुझे मारोगी तो नहीं ना!
‘नहीं मारूंगी बताओ, नहीं बताओगे तो मारूंगी.’
तो मैंने कहा- मैं तुम्हें चाहने लगा हूँ.
उसने कहा- सच में!
यह कह कर वो मेरे होंठ चूसने लगी. मेरी जीभ को अपने मुँह से खींचने लगी. दोस्तो जिन्दगी में पहली बार किसी ने मुझे किस किया था.
वह बोली- इतने दिन से क्यों नहीं कहा?
‘कहीं तुम नाराज न हो जाओ.. अपने भाई को न बता दो.’
उसने मेरे हाथ को पकड़ कर चूम लिया. हम दोनों एक-दूसरे के हाथों को चूमने लगे. दिसंबर के महीने में 5 मिनट में ही एकदम से माहौल में गर्मी सी हो गई. मेरा पूरा हाथ पसीने से भीग गया.
जब मुझे लगा कि अब सब ठीक है तो मैंने पूछा- तुम्हारे शरीर पर मेरा कितना कितना हक है?
उसने कहा- पूरा हक है.
उसके मैं उसकी चुची दबाने लगा. अह.. क्या मस्त मुलायम चुची थीं उसकी..
इसके बाद हम लोग एक-दूसरे के शरीर को स्पर्श करने लगे. दोनों ही एकदम गर्म हो गए. पिक्चर खत्म होने से पहले हम दोनों पिक्चर हॉल से निकल आए. रास्ते में नई कालोनी निर्माण हो रहा था.. हम दोनों उसी निर्माणाधीन कालोनी के एक अधबने घर में घुस गए.
इधर आते ही मैंने उसके होंठों के ऊपर होंठों को रख कर उसे किस करने लगा. वो मेरे होंठों को अन्दर खींचने लगी.
मैं उसके चुचों को दबाने लगा, वो मेरे लंड को सहलाने लगी. मैं उसकी एक चुची को मुँह से चूसने लगा, तो वो ‘आह उह ऊ ऊ आह..’ की आवाज निकालने लगी.
अब मैंने उसे नीचे लेटा दिया और उसकी साड़ी को ऊपर करके अपना लंड निकाल कर उसकी बुर पर लगा दिया. पहला धक्का मारा तो लंड फिसल गया. उसने मेरा लंड अपनी चुत के छेद पर सैट करके धक्का मारने को कहा. मैंने धक्का लगया तो इस बार एक बार में ही लंड चुत के अन्दर घुसता चला गया.
उसके मुँह से ‘आह ऊह आह..’ की आवाज निकलने लगी. कई दिनों बाद चुदने के कारण उसे दर्द हो रहा था. मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि बहुत दिनों बाद चुद रही हूँ ना इसलिए दुख रहा है. उसने मुझसे धीरे-धीरे चुदाई करने को कहा. फिर 5 मिनट बाद मैंने उसको ऊपर आने को कहा.. तो वो मेरे ऊपर आ गई और मुझे धकापेल चोदने लगी.
वो चुदते हुए रोने लगी.
मैंने पूछा- क्यूँ रो रही हो?
उसने कहा- मेरा पति मुझे नहीं चोदता है.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. मैं हूँ ना!
बस 5 मिनट बाद हम दोनों का एक साथ माल गिर गया.
उसने मुझे चूम कर कहा- तुमसे चुद कर मजा आ गया.
चुदाई के बाद हम दोनों घर आ गए. फिर मैंने दूसरी बार उसको गन्ने के खेत में चोदा.
दोस्तो, ये मेरी पहली चुदाई की कहानी है. मेरी कहानियाँ तो बहुत सारी हैं पर आपकी प्रतिक्रिया की जरूरत है.
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